“छत्तीसगढ़ में सामाजिक तथा राष्ट्रीय जागृति का ऐतिहासिक अध्ययन” एक महत्वपूर्ण और गंभीर ग्रंथ है जिसे डॉ. मनोज यादव ने लिखा है। इस पुस्तक का विषय छत्तीसगढ़ के इतिहास और समाज के महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है, और यह एक अध्ययनात्मक प्रयास है जो हमें इस राज्य के रूपरूप सांस्कृतिक और सामाजिक विकास के नजरिये को समझने में मदद करता है।
इस पुस्तक के विषय को गहराई से छूने के लिए लेखक ने विभिन्न साक्षात्कारों, प्रामाणिक स्रोतों, और ऐतिहासिक दस्तावेजों का उपयोग किया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं को संवादपूर्ण और तथ्यवादी दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है।
इस पुस्तक का आरंभ छत्तीसगढ़ के भौगोलिक पृष्ठभूमि पर होता है, जिससे पाठकों को इस राज्य के सांस्कृतिक, भौगोलिक, और ऐतिहासिक परिपेक्ष्य को समझने में मदद मिलती है। यह पुस्तक छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास की विस्तारपूर्ण छवि पेश करती है, जिसमें उन्होंने इस राज्य के आदिवासी समुदायों के आन्दोलनों और महान व्यक्तियों के योगदान को विशेष महत्व दिया है।
लेखक डॉ. मनोज यादव का योगदान इस पुस्तक को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। उनका विशेषज्ञता और शोध कार्य इस पुस्तक को विशेष तरीके से प्राधिकृत करते हैं। वे इस ग्रंथ में विभिन्न पहलुओं पर अपने गहरे अध्ययन का परिणाम प्रस्तुत करते हैं, जिसमें छत्तीसगढ़ के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है।
इस पुस्तक में छत्तीसगढ़ के सामाजिक और राष्ट्रीय जागरूकता के विकास में भूमिका निभाने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं, और समुदायों के योगदान का विस्तारपूर्ण और तथ्यपरक अध्ययन किया गया है। इस पुस्तक के माध्यम से, पाठकों को वे व्यक्तियां और संगठन जानने का अवसर मिलता है जिन्होंने अपने समुदायों के लिए सोशल और नेशनल मान्यता हासिल की।
डॉ. मनोज यादव की लेखनी में सामग्री को प्रस्तुत करने का तरीका बेहद सुविधाजनक है। वे गहरे अध्ययन और शोध के साथ-साथ इसे पाठकों के लिए समझने में भी सहायक बनाते हैं। उनकी भाषा सरल और सुविधाजनक है, जिससे पाठकों को अध्ययन करने में आसानी होती है।
इस पुस्तक के विशेष लक्ष्यों में से एक है छत्तीसगढ़ के आदिवासी आन्दोलनों को समझाना और उनके योगदान को प्रमोट करना। लेखक ने इन आन्दोलनों के महत्व को प्रमोट किया है और छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के योगदान को विश्वभर में प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक उन्हें सम्मान और प्रस्तुति का प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करती है और इन्हें उनके आदिवासी समुदायों के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका देने में मदद करती है।
छत्तीसगढ़ के इतिहास में बहुत सारे महत्वपूर्ण घटनाओं और व्यक्तियों को उजागर करने के साथ, यह पुस्तक इस राज्य के विकास में आदिवासी समुदायों के साथ जुड़े महत्वपूर्ण आन्दोलनों का भी पर्याप्त ध्यान देती है। यह अनुसंधान और ज्ञान का महत्व बताता है जिसके माध्यम से सामाजिक परिवर्तन और समाज में सामाजिक न्याय की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
इस पुस्तक के एक और महत्वपूर्ण पहलू है छत्तीसगढ़ के इतिहास के विभिन्न पहलुओं को समझाने में यह मदद करता है कि कैसे इस राज्य के सामाजिक, सांस्कृतिक, और राष्ट्रीय जागरूकता के क्षेत्र में नागरिकों की भूमिका थी और कैसे उन्होंने इसे बढ़ावा दिया।
डॉ. मनोज यादव का यह कार्य अकेले एक व्यक्ति की मेहनत और शोध कौशल का प्रतीक है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के इतिहास को एक नए दृष्टिकोण से देखने का प्रयास किया है और इस पुस्तक के माध्यम से इसे लोगों के सामने प्रस्तुत किया है।
अगर हम इस पुस्तक के विशेष गुणों की बात करें, तो यह एक प्रामाणिक और विवेकपूर्ण अध्ययन का परिणाम है। लेखक ने अपने शोध को समर्पित किया है और उन्होंने अपने दस्तावेजों की प्रमाणिकता को बनाए रखने के लिए सख्ती से काम किया है। इसके परिणामस्वरूप, पाठकों को एक भरपूर और सत्यपरक अध्ययन का अवसर प्राप्त होता है।
छत्तीसगढ़ में सामाजिक तथा राष्ट्रीय जागरूकता का ऐतिहासिक अध्ययन विषय में एक महत्वपूर्ण पुस्तक है जो इस राज्य के इतिहास को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक विभिन्न पहलुओं के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास के प्रति हमारी जागरूकता को बढ़ावा देती है और छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के महत्वपूर्ण योगदान को समझाने में मदद करती है।
इस पुस्तक को विशेष रूप से विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, और इतिहास प्रेमियों के लिए अत्यधिक सार्थक माना जा सकता है। यह एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है जो छत्तीसगढ़ के इतिहास और समाज के प्रति हमारी समझ को गहराई से बढ़ावा देता है।
सम्पूर्ण रूप से, “छत्तीसगढ़ में सामाजिक तथा राष्ट्रीय जागरूकता का ऐतिहासिक अध्ययन” एक महत्वपूर्ण और गंभीर ग्रंथ है जो हमें छत्तीसगढ़ के इतिहास और समाज के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहरा विचार करने का मौका देता है। लेखक डॉ. मनोज यादव के शोध का परिणाम होने के कारण, यह पुस्तक आधारभूत और उद्घाटन का कार्य करती है और इसे छत्तीसगढ़ के इतिहास और समाज के अध्ययन करने वालों के लिए एक अद्वितीय संसाधन बनाती है।
इस पुस्तक को उन सभी लोगों के लिए अनिवार्य पठनीय माना जाता है जो भारतीय इतिहास और सामाजिक सच्चाई के प्रति अपनी रुचि को और भी गहरा बनाना चाहते हैं। यह पुस्तक एक महत्वपूर्ण योगदान है और इसे पढ़कर हम अपने देश के ऐतिहासिक और सामाजिक विकास के प्रति अधिक समझदार हो सकते हैं।