‘मेघना’ – देविका दास द्वारा रचित उपन्यास – पुस्तक समीक्षा

‘मेघना’ – देविका दास द्वारा रचित उपन्यास – पुस्तक समीक्षा

मेघना – देविका दास द्वारा रचित उपन्यास एक महिला कलाकार के जीवन की एक यात्रा की झलक देता है, जो संघर्ष मेघना कर रही है वो अमूमन कई व्यक्तियों के जीवन का संघर्ष है । उपन्यास को पढ़ते हुए हम ऐसा महसूस करते है की मेघना कोई जाना पहचाना, आस पास का ही व्यक्तित्व है । इस व्यक्तित्व के चित्रण के लिए लेखिका प्रसंशा की पात्र है। मेघना कहानी एक मशहूर रंगमंच की कलाकार के जीवन के इर्द गिर्द घूमती है। कैसे एक साधारण परिवेश और मध्यम वर्गीय स्त्री एक सपना देखती है और उस सपने को जीते हुए कामयाब होती है, ये मेघना के जरिए लेखिका ने बहुत सुंदर ढंग से वर्णित किया है। साथ ही साथ सामाजिक और पारिवारिक स्थितियों को भी समूचे ढंग से चित्रित करते हुए, किस किस मनोस्थिति से नायिका गुजरती है वो भी बहुत ही मनोरंजक है। कहानी खुद में ऐसे बांधती है की शायद आप एक ही बार में बिना रुके ये उपन्यास पढ़ लें।

कहानी कई रोचक मोड़ लेती है – दिल्ली में पढ़ते हुए, अपने घर में किस प्रकार के प्रकरण से नायिका लड़ती है और किस प्रकार उसकी यात्रा आगे बढ़ती है और कैसे मुंबई पहुंच कर मेघना के जीवन में अलग-अलग संघर्ष करने होते है ये उपन्यास बहुत रोचक ढंग से प्रस्तुत करता है। प्रेम, रिश्ते, घृणा और धोखे इन सब मानवीय पहलुओं को अपने शब्दो में पिरोने में देविका सफल हुई है और उनका यह प्रयास सराहनीय है।

देविका की लेखन शैली बहुत ही सरल और पढ़ने में मनोरंजक है, आप इस उपन्यास को पढ़ते हुए कभी भी बोरियत महसूस नहीं करेंगे क्योंकि अब आगे क्या होने वाला है, इसकी जिज्ञासा सदा ही बनी रहेगी। उपन्यास खुद में एक रहस्य को भी छुपाए हुए है जो की आप पढ़ने के बाद ही जान पाएंगे और जब उस रहस्य से पर्दा उठता तो पाठक दंग और ठगा सा रह जाता है। बहरहाल मेघना के जीवन की यात्रा आपका मनोरंजन ही नहीं करती बल्कि आपको अपने जीवन में भी प्रेरणा से भरती है । यदि आप अगली किताब पढ़ते के लिए कोई नई पुस्तक की तलाश में है तो “मेघना” आपकी इस तलाश का अंत कर सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *